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सोमवार शिव आरती

सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।

सोमवार शिव चालीसा

सोमवार शिव चालीसा

शिव मंत्र

आज के समय में शिव चालीसा का पाठ व्यक्ति के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा के सरल शब्दों के माध्यम से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।

भक्त अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करने के लिए नियमित रूप से श्री शिव चालीसा का पाठ करते हैं। इस पाठ के माध्यम से आप अपने दुखों को समाप्त कर भगवान शिव की अनंत कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए। भक्त अक्सर सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत और सावन के पवित्र महीने में शिव चालीसा का पाठ बड़े श्रद्धा से करते हैं।

सोमवार व्रत कथा

एक नगर में एक धनवान व्यापारी रहता था, जिसका व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था। नगरवासी उसका बहुत सम्मान करते थे। हालांकि, संपन्नता के बावजूद व्यापारी दुखी रहता था क्योंकि उसका कोई पुत्र नहीं था। उसे अपने व्यापार का उत्तराधिकारी न होने की चिंता सताती रहती थी।

पुत्र प्राप्ति की इच्छा से व्यापारी ने प्रत्येक सोमवार भगवान शिव का व्रत रखना शुरू किया और शाम को शिव मंदिर जाकर घी का दीपक जलाया करता था। उसकी भक्ति से माता पार्वती प्रसन्न हो गईं और भगवान शिव से व्यापारी की मनोकामना पूरी करने का निवेदन किया। भगवान शिव ने समझाया कि संसार में कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है, लेकिन माता पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर भगवान शिव ने व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया, साथ ही यह भी कहा कि उसका पुत्र 16 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहेगा।

भगवान शिव ने स्वप्न में व्यापारी को यह वरदान दिया। पुत्र प्राप्ति की खबर से व्यापारी खुश तो हुआ, लेकिन उसकी अल्पायु की चिंता ने खुशी को चिन्तित कर दिया। कुछ समय बाद, व्यापारी के घर एक सुंदर बालक का जन्म हुआ। पूरे घर में खुशियां छा गईं, लेकिन व्यापारी का मन अब भी चिंतित था।

जब बालक 12 वर्ष का हुआ, तो व्यापारी ने उसे शिक्षा के लिए उसके मामा के साथ वाराणसी भेज दिया। रास्ते में मामा-भांजे यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते गए । एक नगर में पहुंचने पर, जहां राजा की बेटी का विवाह हो रहा था, वर के पिता ने व्यापारी के पुत्र को राजकुमारी से विवाह करने के लिए तैयार किया। विवाह के बाद लड़के ने सच बताते हुए राजकुमारी की चुन्नी पर असलियत  लिख दी । राजकुमारी ने दूसरे वर के साथ जाने से इनकार कर दिया।

लड़का वाराणसी पहुंचा और पढ़ाई शुरू कर दी। जब वो 16 वर्ष का हुआ, तो यज्ञ के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया। उसी रात शिव जी के वरदान के अनुसार उसकी मृत्यु हो गई। मामा के दुःख ने भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान आकर्षित किया। माता पार्वती के बहुत आग्रह करने पर भगवान शिव ने लड़के को पुनः जीवनदान दिया।

लड़का अपनी शिक्षा पूरी कर मामा के साथ अपने नगर लौटा। रास्ते में वह उस नगर से गुजरा जहां उसका विवाह हुआ था। राजा ने उसे पहचानकर राजकुमारी के साथ उसे विदा किया।

जब व्यापारी ने अपने पुत्र को जीवित और विवाहित देखा, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उस रात भगवान शिव ने व्यापारी को सपने में बताया कि सोमवार के व्रत और व्रत कथा सुनने से ही उसके पुत्र को जीवनदान मिला।

इस प्रकार, जो भी भक्त सोमवार का व्रत करता है और विधिपूर्वक कथा सुनता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सोमवार पूजा विधि

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सोमवार की पूजा कैसे करनी चाहिए?

सोमवार के व्रत में व्रति को सुबह स्नान करके भोलेनाथ की पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में चौकी लगाकर शिव भगवान और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन से तिलक करें, रोली और अक्षत अर्पित करें, और पान सुपारी चढ़ाएं। इसके बाद फल-फूल आदि से भोग लगाएं और आरती करें। इसके बाद मंदिर जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करना न भूलें। भगवान शिव को पंचामृत और मिश्री का भोग अर्पित करने की परंपरा है। भगवान शिव को मालपुए बहुत पसंद हैं, इसलिए आप उन्हें मालपुए बनाकर भोग लगा सकते हैं।

सोमवार के व्रत में भगवान शिव की पूजा के बाद उन्हें मालपुए का भोग अर्पित किया जाता है, क्योंकि यह उनके प्रिय मिष्ठान में से एक है। व्रत के दौरान अन्न के स्थान पर कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी रोटी, पराठा या पूरी का सेवन किया जा सकता है। इस दिन सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए।